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Showing posts from August, 2020

Ek Rishta Benaam Sa..,,

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Ek Rishta Benaam Sa Thoda Khas  Kuchh  Anjan Sa Bahut Dur Magar  Kareeb Sa  Pyar To Nahin  Per  Pyara Sa  Sabke Jaisa  Per thoda  Hamara Sa Jita Hua Nahin  Naahi Hara Sar  Jo Bhi Ho  Magar hai to  Pyara Sa...➹      Love Shweta Sharma “Raina” #rishta #love #poetry #ishq #shayari  #hindiquotes  #poetrycommunity #hindisahitya #poets #hindikavita #hindibhasha  #hindi  #shayri #shayriquotes  #raina #sraina

Ghar Ke Log......

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घर की बातें  करते लोग अपने लोग घर के लोग... ख़ूबी को कर नज़र अन्दाज़ ख़ामियों पर हँसते लोग अपने लोग  घर के लोग... साथ बैठे  बीते बरसो पर तस्वीर में साथ दिखते लोग अपने लोग घर के लोग... ख़ुशी में सबकी खिलें ना चेहरे पर एक दूजे पर  हँसते लोग अपने लोग  घर के लोग... बात-बात पर टोका-टाँकीं रिश्तों का दम भरते लोग अपने लोग  घर के लोग.... घर के रिश्ते ही छलते है कहाँ साथ मिलकर चलते है, बस कहने भर को है यें लोग अपने लोग घर के लोग... बूढ़े बरगद को पीछे छोड़ साथ समय के चलते लोग अपने लोग घर के लोग... आपस में शक्लें तकते लोग रिश्तों को बोझ समझते लोग अपने लोग... घर के लोग !!                     श्वेता शर्मा                          (रैना)      #writing #writersofinstagram #writer #poetry #love #writingcommunity #quotes #poem #poetrycommunity #poetsofinstagram #writers #writerscommunity #poet #poems #art #writersofig #words #reading #write #auth...

Mari kavita mein......

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            छंदो की बहती सरिता में  तुम आओ मेरी कविता में                    बिखरे शब्दों को समेट लो तुम                     मेरी आँखों में  देख  लो तुम                    ख़ुद  को  मेरी तहरीरों  में                    जान लो तुम पहचान लो तुम                     ख़ुद स्वयं को पहचानने को                      तुम आओ मेरी कविता में छंदो की बहती सरिता में तुम आओ मेरी कविता में                   मेरी रचनाओं में तुमको ही                    मैं दूर-दूर तक पाती हूँ                   ...

yaadein

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 आज ना जाने किस मन से  पिछला पन्ना खोल रही हूँ   पास नहीं हो तुम मेरे पर   मैं तुमसे ही बोल रही हूँ                       मैंने तुमसे हंसकर मिलना                       और रोकर बिछड़ना देखा है                       ज़िंदगी के अपने इस सूरज पे                       काले बादल का साया देखा है                       हाथों में मेरे खिंची ना जाने                       ये कैसी-कैसी रेखा है                       अपनी बंद क़िस्मत की परतें                        धीरे-धीरे खोल रही हूँ              ...

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