Mari kavita mein......
छंदो की बहती सरिता में
तुम आओ मेरी कविता में
बिखरे शब्दों को समेट लो तुम
मेरी आँखों में देख लो तुम
ख़ुद को मेरी तहरीरों में
जान लो तुम पहचान लो तुम
ख़ुद स्वयं को पहचानने को
तुम आओ मेरी कविता में
छंदो की बहती सरिता में
तुम आओ मेरी कविता में
मेरी रचनाओं में तुमको ही
मैं दूर-दूर तक पाती हूँ
तुम्हारे संग ख़्यालों में
मैं ऊँची उड़ती जाती हूँ
मुझे ऊँचाइयाँ देने को
तुम आओ मेरी कविता में
छंदो की बहती सरिता में
तुम आओ मेरी कविता में
मेरी कविता में देखना तुम
बस तस्वीर तुम्हारी उभरेगी
मेरे शब्दों की सूरत भी
हर बार तुम्हीं से निखरेगी
अपनी आँखो से चूमने को
तुम आओ मेरी कविता में
छंदो की बहती सरिता में
तुम आओ मेरी कविता में
मेरे हांथों की उंगली जब
नाम तुम्हारा लिखती है
एक-एक कविता आकर
मुझपर ज़ोर से हँसती है
मैं उसपर हँसना चाहती हूँ
मैं तुम्हें बुलाना चाहती हूँ
अपनी इस ‘रैना’की ख़ातिर
तुम आओ मेरी कविता में
छंदो की बहती सरिता में
तुम आओ मेरी कविता मे
श्वेता शर्मा
“रैना”
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Wow Bhuat ache
ReplyDeleteThank you 😊
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